कांग्रेस का अद्भुत घोषणापत्र, 48 पन्नों का न्याय पत्र, जनता को क्या रिझा पाएगा 300 वादों का पिटारा

-राकेश कुमार श्रीवास्तव

चुनाव की अंतिम घड़ी में कांग्रेस जनता को रिझाने के लिये मैदान में पूरी तरह से कूद चुकी है। वह 48 पन्नों का घोषणापत्र जनता के बीच लेकर पहुंची है। चुनाव के कुछ दिन शेष रह गये हैं। उंगलियों पर अगर गिनेंगे तो 13 या चौदह दिन ही बचे होंगे।

कांग्रेस ने अपने इस चुनावी घोषणा पत्र का नाम न्याय-पत्र दिया है। इस न्याय पत्र में साधारणतः जो जनता के लिये आधारभूत सेवा या जरूरते हैं वे तो हैं ही साथ ही इसमें न्याय शब्द का मान रखते हुए पांच न्याय का हवाला दिया गया है। वे न्याय हैं- हिस्सेदारी न्याय, किसान न्याय, नारी न्याय, श्रमिक न्याय और युवा न्याय। आइए विस्तार से जानते हैं पूरी बात।

  • राहुल गांधी के ट्विटर से कॉपीकांग्रेस आपको 5 ऐतिहासिक गारंटियां दे रही है जो आपकी तकदीर बदल देगी। 1. भर्ती भरोसा : 30 लाख सरकारी पदों पर तत्काल स्थायी नियुक्ति की गारंटी। 2. पहली नौकरी पक्की : हर ग्रेजुएट और डिप्लोमाधारी को एक लाख रू प्रतिवर्ष स्टाइपेंड के अप्रेंटिसशिप की गारंटी। 3. पेपर लीक से मुक्ति : पेपर लीक रोकने के लिए नया कानून बना कर विश्वसनीय ढंग से परीक्षा के आयोजन की गारंटी। 4. GIG इकॉनोमी में सामाजिक सुरक्षा : GIG इकॉनोमी की वर्क फोर्स के लिए काम की बेहतर परिस्थितियों, पेंशन और सामाजिक सुरक्षा की गारंटी। 5. युवा रोशनी : ₹5000 करोड़ के राष्ट्रीय कोष से ज़िला स्तर पर युवाओं को स्टार्ट-अप फंड देकर उन्हें उद्यमी बनाने की गारंटी। युवाओं के सपनों को हकीकत बनाना कांग्रेस का संकल्प है।

इस घोषणा पत्र में बताया जा रहा है कि तीन सौ से ज्यादा कांग्रेस सरकार ने जनता के सामने वादा किया है जिसे वह पूरी करने की कसमें खा रही है मगर चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद। जिसमें नौकरी देने, किसानों की कर्जमाफी, खाली पद भरने, महिलाओं को भत्ता देने, एमएसपी की गारंटी देने जैसे तमाम वादे तो कांग्रेस पहले से करती आई है, लेकिन इस बार कांग्रेस के घोषणा पत्र में संवैधानिक न्याय का पन्ना भी जोड़ा गया है. पांच न्याय में हिस्सेदारी न्याय, किसान न्याय, नारी न्याय, श्रमिक न्याय और युवा न्याय पर आधारित हैं. साथ ही इन पन्नों में संसद, चुनाव आयोग, जांच एजेंसी, अदालत, मीडिया, चुनावी लोकतंत्र में बदलाव की बात कही गयी है।

इन पन्नों में एक कानूनी बदलाव की बात कही गयी है। वह है मानहानि के जुर्म को अपराधमुक्त रखना। क्योंकि आपको भी याद होगा, मानाहानि के मामले में राहुल गांधी को साल की सजा मिलने पर वे संसद सदस्यता से कुछ दिनों के लिये हाथ धो बैठे थे। अब चूंकि राहुल गांधी जी इसे फेस किये हैं तो वाजिब बनता है कि वे इसमें बदलाव कर सकें।

कांग्रेस ने अपने वादे में इंटरनेट सेवा को लगातार और किसी भी परिस्थिति में मुहैया करवायेगी। इसका कारण है कि कई आंदोलनों के दौरान लंबे वक्त तक कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए इंटरनेट बंद किया जाता रहा है जिसमें कांग्रेस के आंदोलन को भी जन-जन तक पहुंचने में बाधा का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस का एक वादा यह भी है कि वह किसी भी आंदोलन को दिल्ली तक शांतिपूर्ण तरीके से आने देगी और लोगों को एकजुट होने देगी। किसान आंदोलन को दिल्ली में जाने पर रोक लगने की वजह ही इस घोषणापत्र में इस बात पर ध्यान दिया गया है।

कांग्रेस अपने मैनिफेस्टो में आगे कहती है वह किसी के व्यक्तिगत जीवन से ज्यादा सरोकार नहीं रखेगी चाहे वह भोजन हो, पहनावा हो, प्यार हो, शादी हो, वह किसी में हस्तक्षेप नहीं करेगी। भोजन से आप अंदाजा लगाते रहिए कि यहां किस भोजन और किनके पहनावों के बारे में इंगित किया गया है।

कांग्रेस देश से ये वादा भी कर रही है कि अगर सत्ता में आए तो संसद सत्र साल में 100 दिन चलेगा। कांग्रेस एक वादा अपने उन नेताओं के खिलाफ लेकर आई है, जो ईडी-सीबीआई के डर से बीजेपी में कांग्रेस छोड़कर चले गये। आपको बता दें कि कांग्रेस के इस चुनावी सीजन में करीब 48 नेता दल छोड़कर कुछ बीजेपी में तो कुछ अन्य दलों का दामन थाम चुके हैं। इस वजह से कांग्रेस संविधान की दसवीं अनुसूची में संशोधन का हवाला दे रही है कि अगर कोई दल बदलता है तो विधानसभा या संसद की सदस्यता से सीधे निष्कासित कर दिया जाएगा।

कांग्रेस अगर सत्ता में आती है तो वह चुनावी बॉन्ड घोटाले, सर्वाजनिक संपत्तियों की अंधाधुंध बिक्री, पीएम केयर्स घोटाले सहित प्रमुख रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार की जांच कराएगी। साथ ही नोटबंदी, राफेल सौदा, पेगासस की जांच भी कराएगी। अब सवाल यह उठता है कि क्या घोषणा पत्र के आधार पर चुनाव जीते जा सकते हैं? हो सकता है कि जीते भी जा सकते हैं। मगर यहां चुनावी माहौल में हर एक के पास अर्थात् हर पार्टी के पास अपने अपने चुनावी घोषणापत्र हैं। अब देखते हैं कि कौन इस दौड़ में सबसे आगे रहता है।

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