कर्नाटक के हाई-प्रोफाइल रेप केस में बेंगलुरु की विशेष अदालत ने पूर्व सांसद और जनता दल (सेक्युलर) नेता प्रज्वल रेवन्ना को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने इस मामले में अधिकतम सजा देते हुए उन पर कुल ₹11 लाख का जुर्माना भी लगाया है। यह जुर्माना पीड़िता को मुआवजे के रूप में देने का आदेश दिया गया है।
क्या था मामला?
प्रज्वल रेवन्ना पर आरोप था कि उन्होंने अपने फार्महाउस में काम करने वाली 48 वर्षीय घरेलू सहायिका के साथ 2021 से बार-बार रेप किया। पीड़िता ने आरोप लगाया कि प्रज्वल ने इस दौरान कई बार उसका यौन उत्पीड़न किया और अश्लील वीडियो भी बनाए। साथ ही धमकी दी कि यदि उसने किसी को कुछ बताया, तो वह वीडियो सार्वजनिक कर देंगे।
पीड़िता ने अदालत में बताया कि वह मानसिक रूप से इतना दबाव महसूस कर रही थी कि कई बार आत्महत्या करने का विचार भी आया। अप्रैल 2024 में जैसे ही मामले के वीडियो वायरल हुए, प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ कई महिलाओं ने यौन उत्पीड़न और ब्लैकमेलिंग के आरोप लगाए।
कब हुआ खुलासा?
23 अप्रैल 2024 को, जब हासन लोकसभा सीट पर मतदान से तीन दिन पहले कई महिलाओं के यौन उत्पीड़न के वीडियो सामने आए, तो मामला तूल पकड़ गया। उसी समय तत्कालीन सांसद प्रज्वल रेवन्ना जेडीएस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे थे। विवाद बढ़ते ही वह मतदान के अगले दिन जर्मनी रवाना हो गए थे। हालांकि वहां से लौटने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
अदालत ने किन धाराओं में सजा दी?
अदालत ने प्रज्वल रेवन्ना को आईपीसी की कई धाराओं और आईटी अधिनियम के तहत दोषी करार दिया:
- धारा 376(2)(k) और 376(2)(n): आजीवन कारावास और ₹10 लाख का जुर्माना
- धारा 354(a): 3 साल का कठोर कारावास और ₹25,000 जुर्माना
- धारा 354(b): 7 साल का कठोर कारावास और ₹50,000 जुर्माना (जुर्माना न देने पर 6 महीने का साधारण कारावास)
- धारा 354(c): 3 साल का कठोर कारावास
- धारा 506: 2 साल का कठोर कारावास और ₹10,000 जुर्माना
- धारा 201: 3 साल का कठोर कारावास और ₹25,000 जुर्माना
- आईटी अधिनियम की धारा 66(E): 3 साल का कठोर कारावास और ₹25,000 जुर्माना
अदालत ने कुल ₹11 लाख का जुर्माना लगाने के अलावा पीड़िता को ₹11 लाख का मुआवजा देने का भी आदेश दिया।
स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने क्या कहा?
पीड़िता की ओर से पेश स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर बी.एन. जगदीश ने कहा, “यौन उत्पीड़न के वीडियो प्रज्वल की क्रूर मानसिकता को दर्शाते हैं। वह सांसद रहते हुए कानून को अच्छी तरह जानते थे, फिर भी उन्होंने ऐसे कृत्य किए। ऐसे आदतन अपराधियों को अधिकतम सजा मिलनी चाहिए ताकि यह स्पष्ट संदेश जाए कि धन और राजनीतिक ताकत कानून से ऊपर नहीं हैं।”
सजा सुनाए जाने से पहले प्रज्वल का बयान:
सजा सुनने से पहले अदालत में प्रज्वल रेवन्ना भावुक हो गए। उन्होंने कहा, “यह मामला चुनाव के दौरान ही क्यों सामने आया? जब मैं सांसद था, तब कोई शिकायत क्यों नहीं हुई? अब मुझे कई यौन उत्पीड़न मामलों में घसीटा जा रहा है।”
संपादकीय दृष्टिकोण (Editorial View):
“There is hope…”
यह फैसला समाज में एक उम्मीद जगाता है कि चाहे कोई कितना भी ताकतवर क्यों न हो, कानून के सामने उसकी नहीं चलती। प्रज्वल रेवन्ना एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से आते थे – वे न केवल सांसद रहे हैं बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के पोते भी हैं।
उन्होंने खुद को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया, लेकिन अंततः उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली। यह केवल उनका ही नहीं, बल्कि उनके पूरे परिवार और यहां तक कि प्रधानमंत्री पद तक के रिश्तों की छवि पर भी दाग है।
यह फैसला हर उस व्यक्ति के लिए एक सख्त संदेश है जो ऊँचे ओहदे और ताकत के बल पर महिलाओं पर अत्याचार करने की सोचता है। अब अपराध करने से पहले ऐसे लोगों को यह याद रहेगा कि कानून का शिकंजा किसी को भी बख्शता नहीं है।