पारबेलिया सरस्वती इंग्लिश लर्निंग स्कूल का भव्य उद्घाटन समारोह संपन्न

संवाददाता, पुरुलिया: पुरुलिया जिले के नितुरिया थाने के पाथरडीहा के करीब पारबेलिया सरस्वती इंग्लिश लर्निंग स्कूल के नए भवन का भव्य उद्घाटन समारोह सोमवार को संपन्न हुआ। समारोह में जिला सभाधिपति के साथ ही काफी बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिकों ने भाग लिया साथ ही विद्यार्थियों के माता-पिता भी मौके पर उपस्थित हुए थे। उपस्थित अधिकारियों तथा अभिभावकों ने स्कूल के अनुशासन तथा बेहतरीन पढ़ाई की प्रशंसा की।

मालूम हो कि पारबेलिया सरस्वती इंग्लिश लर्निंग स्कूल वर्तमान समय में पारबेलिया हाटतल्ला और तीन नंबर के समीप पिछले कई दशक से चल रहा था, परंतु प्रतिदिन स्कूल में विद्यार्थियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्कूल प्रबंधन कमेटी द्वारा स्कूल के स्थानांतरण की योजना बनाई गई। इसके तहत नितुरिया थाने के समीप लगभग 1 एकड़ जमीन लेकर स्कूल के नए भवन का भव्य निर्माण किया गया। इस नव निर्मित भवन के निर्माण के उपरांत सोमवार को विधिवत् रूप से भव्य उद्घाटन किया गया। इसका उद्घाटन जिला समाधिपति निवेदिता महतो, पुरुलिया प्राथमिक शिक्षा संसद के स्कूल निरीक्षक सुजय बसु, नितुरिया पंचायत समिति अध्यक्ष शांति भूषण प्रसाद यादव, गणेश उपाध्याय, लगन पांडे, समाज सेवी जयनाथ चौबे सहित स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्वलित तथा फीता काट कर उद्घाटन किया गया।

मौके पर ज़िला सभाधिपति ने उपस्थित अतिथियों एवं अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा कि जिस स्कूल के नाम में ही मां सरस्वती वास करती हो उसे स्कूल की शिक्षा व्यवस्था के संबंध में जितना भी बोला जाए कम है, उन्होंने यह भी कहा कि मैं जब से यहां आई हूं स्कूल के विद्यार्थियों के अनुशासन को देखकर काफी प्रभावित हुई हूं, यह स्कूल एक स्वास्थ्यवर्धक वातावरण के साथ ही एक स्वस्थ परिवेश में संचालित होगा। इस बात की उन्हें पूरी उम्मीद है। इस उपलक्ष में उन्होंने यह भी कहा कि स्कूल में पढ़ाई के साथ ही साथ खेलकूद पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि एक स्वस्थ मस्तिष्क एक स्वस्थ शरीर में ही होता है और इस स्कूल का वातावरण तथा परिवेश काफी स्वच्छ है यहां चारों तरफ पेड़ पौधे और प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा हुआ है।

ईसीएल के डायरेक्टर फाइनेंस अंजार आलम ने अपने संबोधन में कहा कि इस स्कूल के अनुशासन और यहां के परिवेश को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि भविष्य में यह स्कूल काफी विकास करेगा साथ ही साथ उन्होंने कहा कि ऐसे परिवेश में संचालित होने वाले एक स्कूल के सहायता के लिए वह हर संभव सहायता को तत्पर रहेंगे और उनकी यह कामना है कि भविष्य में यह स्कूल क्षेत्र के लिए मिल का पत्थर साबित हो।
पश्चिम बंगाल पुरुलिया प्राथमिक शिक्षा संसद के जिला स्कूल निरीक्षक सुजय बसु ने भी मौके पर लोगों को संबोधित किया और कहा कि यहां आकर उन्होंने विद्यार्थियों और स्कूल का जो परिवेश देखा उसे उन्हें आंतरिक प्रसन्नता हुई वर्तमान स्थिति को देखकर वह यह कह सकते हैं कि भविष्य में स्कूल काफी विकास करेगा और यहां से काफी अच्छे विद्यार्थी बाहर निकाल कर समाज और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अक्सर बेहतर शिक्षा के लिए लोग अपने बच्चों को घर से बाहर भेजते हैं परंतु इस स्कूल के परिवेश को देखकर ऐसा लग रहा है अब इस इलाके के लोगों को अपने बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए बाहर भेजने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी वह अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए यहीं दाखिला करवाने का प्रयास करेंगे।

नितुरिया पंचायत समिति के अध्यक्ष शांति भूषण प्रसाद यादव ने कहा कि आज से नहीं वर्षों से वह इस स्कूल के बच्चों की शिक्षा और यहां की अनुशासन व्यवस्था को देखते आ रहे हैं आज तक इस स्कूल के अनुशासन व्यवस्था पर किसी ने ऊंगली नहीं उठाई। सभी इस स्कूल की शिक्षा और अनुशासन की प्रशंसा करते रहे हैं। कल तक यह स्कूल नितुरिया पारबेलिया की पहचान बनकर उभर रहा था और आज यह स्कूल जिले में अपना विशेष पहचान बनाएगा इसका उन्हें पूरी उम्मीद है।

स्कूल के संस्थापक व प्रिंसिपल रमेश भारती ने अपने संबोधन में कहा कि जब वह युवावस्था में थे और शैक्षणिक परीक्षा हेतु उड़ीसा गए हुए थे वहां उन्होंने एक स्कूल और उसके अनुशासन व्यवस्था को देखकर इतने प्रभावित हुए उन्होंने यह प्रण कर लिया था कि वह भी अपने क्षेत्र में एक ऐसा ही स्कूल खोलेंगे, जहां शिक्षा के साथ ही अनुशासन को पूरा महत्व दिया जाएगा। यह कल्पना उन्होंने वर्ष 1988 में किया था। वहां से लौटने के बाद ही वह अपने स्वप्न को साकार करने में जुट गए।और 18 फरवरी 1988 को ही एक कमरे से स्कूल का संचालन आरंभ किया जो देखते-देखते एक वृहद रूप धारण कर लिया और इसका शुभारंभ भी हो गया।

कार्यक्रम को सफल बनाने में स्कूल के शिक्षकों तथा कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही साथ ही स्थानीय नागरिकों ने भी हर संभव सहयोग किया क्योंकि उनके सहयोग के बिना इस तरह के कार्य सफल होना काफी मुश्किल था।

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