
पैसा भगवान है कि नहीं है.. ये उनलोगों को समझ में आता है जिनके पास पैसे नहीं है। जो कर्ज में डूबे हुए हैं। जो पाई-पाई को मोहताज हैं। ऐसे आफत में फंसे लोगों के लिये कोई नहीं होता। न तो गैर और न ही अपने। अपनों से अगर वो साधारण हालचाल भी लेने की कोशिश करते हैं लोग पहले से ही अपना दुख रोना शुरू कर देते हैं। उनको डर लगा रहता है कि कहीं यह कुछ मांग न बैठे। लोग आपको देखकर या तो रास्ता बदल लेते हैं या फिर पकड़े गये तो अनायास ही अपनी व्यस्तता दिखाने लगते हैें इस डर से कि कहीं आप अपना दुखड़ा लेकर उसके पास न बैठ जाएं। इसलिये आर्थिक रुप से तंग ऐसे आफत में फंसे हुए लोगों के लिये पैसा भगवान के समान ही होता है। जिनलोगों के पास भर-भर कर पैसे आ रहे हैैं जिन्हें यह सोचना पड़ रहा है कि पैसे कहां खर्च करें ऐसे लोगों को लिये पैसा हाथ का मैल है से ज्यादा नहीं होता। प्रवचन देते साधु बाबा लोग लाखों रुपये लेते हैं अपने इस प्रवचन को देने के लिये पैसा हाथ का मैल है। तो भइया पैसा भगवान है कि नहीं जब तक आप आफत में नहीं पड़ेंगे तब तक आपको पता नहीं चलेगा। मान लीजिए आप बहुत पैसे के मालिक हैं फिर भी अगर आप टिकट काउंटर पर खड़े हैं और आपके पॉकेट में पांच सौ या दो हजार का नोट है मगर काउंटर में सिर्फ 5 रुपये देने हैं उस समय काउंटर पर बैठा व्यक्ति आपको 5 रुपये के लिये आपका पांच सौ नोट रिजर्व में रख लेगा और साथ ही आपका टिकट रिजर्व में रख लेगा और कहेगा कि जाइए कहीं से पांच रुपये की व्यवस्था करके लाइए। उस समय आपको उस 5 रुपये की अहमियत पता चलती है। वैसे अगर आप मेहनत से या चोरी से जैसे भी पैसे कमाएं अगर आप पैसे की इज्जत नहीं करते तो पैसा भी आपको इज्जत नहीं करेगा और वह आपके पास से किसी भी रास्ते से निकल जाएगा। इसलिये पैसा आने पर पहले तो यह समझ लीजिए कि पैसा या लक्ष्मी एक जगह कभी स्थिर नहीं रहती है। उन्हें चंचला के नाम से इसीलिए जाना जाता है। इसलिये पैसा आने पर न तो घमंड या अहंकार करें और न ही किसी का तिरस्कार करें। हां लक्ष्मी जी को बांधने का प्रयास भी न करें मगर उनके सत्कार में भी कोई कमी न रखें। अनायास ही फिजूूल खर्चों से बचें। दान-पुण्य करें। अपनी औकात में रहें। क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल से बचें। लोन लेकर फैशन और ऐशो आराम की चीजें मत खरीदें। अन्यथा पैसा आपको बता देगा कि वह भगवान क्यों है।