प्रश्नः में हमेशा उत्तेजित रहती हूँ, आज तक कोई संतुष्ट करने वाला नहीं मिला मुझे क्या करना चाहिए ?
आप किन लोगों की संगति में हैं उस पर नजर डालिए। कौन आपको इस तरह की बातों से उत्तेजित कर रहा है। अगर ऐसा कोई व्यक्ति या महिला है तो आप उनसे अपनी दूरी बनाइए। अगर आप पोर्न मुवी या फिर बातें या कहानी पढ़ने की आदि हैं तो उनसे तौबा कीजिए। आपका खान-पान क्या है उस पर भी नजर डालिए। हो सके तो नॉन वेज खाना छोड़ दें। लहसुन-प्याज और गरम मसाले तो बिल्कुल ही नहीं। क्योंकि आपको ध्यान में होगा शायद कि हमारे समाज में विधवा स्त्री को लहसुन-प्याज इसीलिये खाने को मना किया जाता था कि उनके शरीर में ताप न आए और वह विचलित न हो जाय। सिर्फ एक महीने के लिए कीजिए। अच्छा लगे तो उसे आगे बढ़ाइएगा।
गर्मी का दिन है कम से कम दिन में दो बार यानी सुबह शाम नहाकर ध्यान कीजिए। ध्यान में ।।ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।। का मानसिक जाप दोनों वक्त 108 बार कीजिए। और एक बार सोने से पहले भी कर लीजिए। बहुत ही मंगलकारी मंत्र है। आपको अवश्य ही शांति मिलेगी और तृप्ति भी।
क्योंकि भोग एक ऐसी वस्तु है जिसमें जितना ही घी पड़ेगा उतना ही और जलेगा। जिसे भोग में सबकुछ हासिल है या था वह कभी तृप्त हो ही नहीं सका तो आप और हम तो एक साधारण इंसान हैं। ययाति ग्रंथि वृद्धावस्था में यौवन की तीव्र कामना की ग्रंथि मानी जाति है। उसमें वर्णित एक घटना है। आपको बता दें ययाति नाम के एक राजा हुए थे जिनकी तीव्र वासना थी उनकी इच्छा जानकर उनके कई पुत्रों में से एक पुरू ने अपना यौवन दान में दे दिया था। मगर एक हजार वर्ष तक भोग करने के बावजूद भी उनकी लिप्सा पूरी नहीं हुई। वह और भी धधकती गई।
आखिरकार विषय वासना से तृप्ति न मिलने पर उन्हें अपने आपसे घृणा हुई ही साथ ही उन्हें इन भोग-विलास से भी घृणा हो गई और उन्होंने अपने पुत्र पुरु की युवावस्था वापस लौटा कर वैराग्य धारण कर लिया। ययाति को वास्तविकता का ज्ञान प्राप्त हुआ और उन्होंने कहा-
भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्ताः
तपो न तप्तं वयमेव तप्ताः।
कालो न यातो वयमेव याताः
तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णाः ॥
अर्थात, हमने भोग नहीं भुगते, बल्कि भोगों ने ही हमें भुगता है; हमने तप नहीं किया, बल्कि हम स्वयं ही तप्त हो गये हैं; काल समाप्त नहीं हुआ हम ही समाप्त हो गये; तृष्णा जीर्ण नहीं हुई, पर हम ही जीर्ण हुए हैं !
अगर आपको हमारी यह बात और कहानी पसंद आयी तो जरूर हम आपसे थोड़ी सी आशा अपने फॉलोवर के रूप में चाहते हैं और आपका अपवोट भी। वैसे भी चिंता मत करें हमारा यह हिंदी कोरा होने की वजह से मॉनेटाइज नहीं है। पूरी तरह से कोरा है। बस मन के सुकून के लिये यह सब करना है और कर रहा हूं। हो सकता है कि किसी का कुछ हित हो जाय। जय श्री हरि।
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