
10 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान ने एक पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमति जताई, जिससे दोनों देशों के बीच दशकों से चले आ रहे तनावपूर्ण संबंधों में एक नया मोड़ आया। यह युद्धविराम अमेरिका की मध्यस्थता से संभव हुआ, जिसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
युद्धविराम की घोषणा और प्रेस कॉन्फ्रेंस
भारतीय वायु सेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह, भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में युद्धविराम की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारतीय डीजीएमओ से संपर्क कर 5 बजे से सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर सहमति जताई।
भारत की सैन्य कार्रवाई और उपलब्धियाँ
भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों और सैन्य प्रतिष्ठानों पर सटीक हमले किए। इन हमलों में पाकिस्तान के कई आतंकवादी लॉन्च पैड, रडार सिस्टम और हथियार भंडारण केंद्र नष्ट हुए। कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया कि पाकिस्तान द्वारा फैलाए गए दुष्प्रचार के विपरीत, भारत का S-400 वायु रक्षा प्रणाली पूरी तरह सुरक्षित है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और नुकसान
पाकिस्तान ने “ऑपरेशन बुनियान उल मर्सूस” के तहत भारत के सैन्य ठिकानों पर जवाबी हमले किए, जिसमें कुछ नागरिक क्षेत्रों को भी निशाना बनाया गया। हालांकि, भारत की वायु सेना ने इन हमलों का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया। पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों को भारी नुकसान हुआ, और उसकी वायु रक्षा प्रणाली कमजोर साबित हुई।
अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता और कूटनीतिक प्रभाव
अमेरिका के अलावा, सऊदी अरब और तुर्की ने भी इस संघर्ष को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राष्ट्रपति ट्रंप ने दोनों देशों की समझदारी और बुद्धिमत्ता की सराहना की। G7 देशों और चीन ने भी तत्काल शांति वार्ता की अपील की।
भारत की रणनीतिक स्थिति और अंतरराष्ट्रीय छवि
भारत ने इस संघर्ष में अपनी सैन्य क्षमता और रणनीतिक सोच का प्रदर्शन किया। आतंकवाद के खिलाफ उसकी सख्त नीति और सीमित लेकिन प्रभावी सैन्य कार्रवाई ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उसकी छवि को मजबूत किया है। भारत ने स्पष्ट किया है कि भविष्य में किसी भी आतंकवादी हमले को वह पाकिस्तान की ओर से हमला मानेगा।
भविष्य की चुनौतियाँ और सतर्कता
हालांकि युद्धविराम लागू हो गया है, लेकिन भारत को पाकिस्तान की ओर से संभावित धोखाधड़ी और आतंकवादी गतिविधियों के प्रति सतर्क रहना होगा। भारतीय सेना ने अपनी तैयारियों को उच्च स्तर पर बनाए रखा है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।
निष्कर्ष
भारत ने इस संघर्ष में न केवल अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी कूटनीतिक क्षमता को भी सिद्ध किया। युद्धविराम के बाद, भारत को अपनी सुरक्षा नीतियों को और मजबूत करना होगा और आतंकवाद के खिलाफ अपनी सख्त नीति को जारी रखना होगा।
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